उज्जैन/इंदौर। मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन और व्यवसायिक राजधानी कही जाने वाली इंदौर में कलेक्टरों के फैसले ने दोनों शहरों को प्रदेश में एक और नई पहचान दिलाई है । दोनों कलेक्टर के कड़े फैसले मध्य प्रदेश के लिए इतिहास बन गए हैं । देखिए पूरी खबर।
किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की कार्य क्षमता और असली परीक्षा विपरीत परिस्थितियों में होती है। इंदौर में जब कोरोना सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा था, उस समय मध्य प्रदेश के लोग काफी असहज हो गए थे। यह भी कहा जा रहा था कि कई प्रशासनिक अधिकारियों ने इंदौर की कमान संभालने के सवाल पर हाथ ऊंचा कर दिए हैं । ऐसी परिस्थिति में आईएएस अधिकारी मनीष सिंह इंदौर की कमान संभाल कर कोविड-19 से इंदौर को उभार दिया। इसके लिए उन्होंने कई ऐसे कड़े फैसले लिए जो इंदौर के इतिहास में ऐतिहासिक बन गए हैं । कोविड के दौरान उन्होंने निजी अस्पतालों पर भी काफी लगाम कसी।
इसके बाद जब कोविड-19 का प्रकोप थोड़ा कम हुआ तो उनका ध्यान माफियाओं की तरफ गया। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई ही नहीं की बल्कि उन लोगों को भी न्याय दिलाया जो सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे, अगर बात भूमाफिया की बात की जाए तो पहले भी भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है, मगर इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ऐसे अनाज माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की जो समाज के अंतिम पंक्ति के गरीब लोगों का अनाज कालाबाजारी के जरिए बेचकर मोटी रकम कमा रहे थे।
इसके बाद अगर उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह की कार्यशैली की बात की जाए तो उज्जैन कलेक्टर ने भी कई ऐसे कड़े फैसले लिए हैं जो जनता के बीच में उनके प्रशासनिक क्षमता ही नहीं बल्कि सरकार की कार्यशैली के प्रति भी विश्वास जगाते हैं। जब उज्जैन में बीजेपी का विधायक सम्मेलन हो रहा था उस समय यह कहा जा रहा था कि वीआईपी के आने की वजह से महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती में प्रवेश शुरू कर दिया जाएगा लेकिन उज्जैन कलेक्टर ने कोविड के हालात को भापते हुए नियमानुसार ही फैसले लिए । इस दौरान महाकाल मंदिर समिति ने भी कोविड-19 के कारण हुए सभी फैसलों पर मुहर लगा दी। अब महाशिवरात्रि पर्व को लेकर यह कहा जा रहा था कि अव्यवस्थाओं के बीच महामारी को रोक पाना बेहद मुश्किल होगा, मगर एक बार फिर महाकाल मंदिर समिति के साथ उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने कड़ा फैसला लिया है। उन्होंने महाशिवरात्रि पर पहले बुकिंग कराने वालों को ही दर्शन करने की रणनीति तैयार की है । इस दौरान कोविड से निपटने के लिए भी पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक “पहले आओ पहले पाओ” की रणनीति पर बुकिंग की जाएगी। इसके बाद परिस्थिति के अनुसार निर्णय भी बदले जा सकते हैं ।
उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने भी माफियाओं की जो कमर तोड़ी है वह अगले कई सालों तक उज्जैन के लोगों के जहन में रहेगी। उज्जैन कलेक्टर ने भी माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के दौरान आम लोगों को सहायता दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जनसुनवाई ही नहीं बल्कि प्रत्येक सप्ताह में जिले के गांव जाकर ग्रामीणों की समस्याएं दूर करना भी उज्जैन कलेक्टर की प्राथमिकता में शामिल है । ऐसे में उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह का सूचना तंत्र भी काफी मजबूत है। उन्हें ग्रामीण अंचलों से लेकर शहर के अलग-अलग इलाकों से सीधे गड़बड़ी की सूचना मिल जाती है। यही वजह है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा माफियाओं के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान इंदौर और उज्जैन में पूरी तरह सफल रहा है । इसका लाभ सरकार को आने वाले चुनाव में भी मिलेगा।