उज्जैन: सब इंस्पेक्टर का यूं चला जाना..

उज्जैन। कोरोना से डेढ़ महीने तक जंग लड़ने के बाद उप निरीक्षक जिंदगी की जंग हार गए । इस खबर ने पूरे आबकारी महकमे को हिला कर रख दिया है । रतलाम के रहने वाले उप निरीक्षक करीब ढाई साल से उज्जैन जिले के बड़नगर में पदस्थ थे । उनकी पत्नी बैंक अधिकारी है। 

 

कोरोना की दूसरी लहर इतनी बुरी खबर लेकर आ रही है कि लोगों के रोम-रोम कांप रहा हैं । पहले यह कहा जा रहा था कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोरोना काफी घातक साबित हो सकता है। इसके बाद यह कहा गया कि 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोग जो गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं , वे भी कोरोना के निशाने पर है , मगर अब तो कोरोना ने उम्र की सारी सीमाएं ही पार कर दी। 9 जून 1988 में जन्मे रतलाम के रहने वाले आबकारी विभाग में पदस्थ उप निरीक्षक प्रणव जैन को कोरोना ने अपना शिकार बना लिया। प्रणव जैन ऐसे काबिल अफसर थे जो बड़नगर के दो सर्किल संभालते थे । इसके अलावा उनके पास वेयरहउस का चार्ज भी था । लगातार अपने सरल स्वभाव और अच्छी कार्यशैली की वजह से उन्हें बड़े दायित्व मिलते रहे हैं। उनकी पत्नी बड़नगर में बैंक अधिकारी के रूप में पदस्थ है । प्रणव जैन के दो छोटे बच्चे हैं। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कुछ ही वर्षों में प्रवीण जैन कई उपलब्धियां हासिल कर ली थी । विभाग के अधिकारी बताते है कि आबकारी विभाग को सरकार ने फ्रंट लाइन वर्कर नहीं मानते हुए कोरोना के टीके से वंचित रखा है । हालांकि प्रणव जैन कोरोना से काफी लंबी जंग लड़ी, वे इंदौर के निजी अस्पताल में डेढ़ महीने से जंग कर रहे थे। उन्हें सभी आवश्यक इंजेक्शन भी लग चुके थे मगर कोरोना से जिंदगी की जंग हार गए। 

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