उज्जैन। सुनो शिवराज जी, उज्जैन के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक पारस जैन वैक्सीन को लेकर चिंता जताते हुए एक पत्र लिखा है.. इस पत्र को अगर प्रदेश सरकार ने गंभीरता से ले लिया तो आने वाले दिनों में मुश्किलें कम हो जाएगी। हालांकि पत्र पर अमल करने के अलावा दूर-दूर तक कोई रास्ता भी दिखाई नहीं दे रहा है।
प्रदेश और केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन को लेकर खूब प्रचार पसार किया और करोड़ों रुपए खर्च भी किए गए। केंद्र सरकार ने मई माह के पहले सप्ताह में वैक्सीनेशन शुरू करने का आह्वान भी कर दिया, मगर वैक्सीन की कमी ने सारी घोषणाओं पर पानी फेर दिया। कोरोना की पहली लहर में केंद्र सरकार ने अपनी ओर से काफी प्रयास करते हुए पूरे देश में लाॅक डाउन लगा दिया था, जिसकी वजह से केंद्र सरकार पर कई आरोप और प्रत्यारोप भी लगे। दूसरी लहर में केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकारों को सारे अधिकार दे दिए हैं । प्रदेश सरकारों ने अपने अधिकार क्राइसिस मैनेजमेंट के सदस्यों को सौंप दिए। अब यहां तक तो ठीक था मगर वैक्सीनेशन को लेकर जिस प्रकार की तैयारियां प्रदेश और केंद्र को करना थी, उन तैयारियों में जरूर हम लोग बिछड़ गए।
उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। इस पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि देश की दूसरी राज्य सरकार मसलन यूपी, राजस्थान आदि को कोविशिल्ड और को-वैक्सीन के अलावा अन्य वैक्सीन को लेकर ग्लोबल टेंडर निकाल रहे हैं। इसी प्रकार की प्रक्रिया मध्य प्रदेश सरकार को भी अपनाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से निवेदन किया है कि अन्य उपयोगी वैक्सीन को भी खरीद कर आम लोगों का वैक्सीनेशन कराया जाना चाहिए। अगर वैक्सीनेशन में देरी होगी तो खतरा अधिक बढ़ सकता है। उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले में कोरोना शहर से निकलकर अब देहात की ओर चल पड़ा है ।
अमीर लोग भी हाथ पर हाथ धरकर बैठेे हैं..
सरकार अगर फाइजर, स्पूतनिक, जॉनसन एंड जॉनसन सहित अन्य कंपनियों को भारत में वैक्सीन विक्रय को लेकर एक रणनीति बनाती है तो अमीर और सामर्थ्य लोग खरीद कर भी वैक्सीन लगवा सकते हैं, मगर मैनेजमेंट की कमी के कारण कई ऐसे लोग जो वैक्सीन खरीदकर लगवाने में सामर्थ्य है वे भी हाथ पर हाथ धरकर बैठे हैं, उनके पास कोई विकल्प नहीं है।